अशोकनगर, 19 मार्च।  मध्यप्रदेश के अशोकनगर जिले के बहादुरपुर थाना क्षेत्र स्थित करीलाधाम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के साथ एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया। बुधवार सुबह करीब 9:40 बजे, मुख्यमंत्री रंग पंचमी पर आयोजित मेले में शामिल होने पहुंचे थे। इसी दौरान जब वे माता जानकी मंदिर में दर्शन कर सीढ़ियों से नीचे उतर रहे थे, तो मीडिया को बयान देते समय लोहे की सीढ़ियों की वेल्डिंग उखड़ गई, जिससे वे असंतुलित हो गए। हालांकि, उनके सुरक्षा स्टाफ ने तुरंत उन्हें संभाल लिया, जिससे वे गिरने से बच गए।

इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। मौके पर मौजूद प्रशासनिक अधिकारियों ने इस घटना को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया, बल्कि मीडिया से इस तरह की खबरें न चलाने का आग्रह किया।

हादसे में किसी को चोट नहीं, बड़ा संकट टला

घटना में किसी को चोट नहीं आई है। वायरल वीडियो में मुख्यमंत्री के पीछे मुंगावली विधायक बृजेन्द्र सिंह यादव, जिला पंचायत अध्यक्ष अजय सिंह यादव सहित अन्य लोग भीड़ में नजर आ रहे हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, लोहे की सीढ़ियों पर क्षमता से अधिक लोगों के खड़े होने के कारण वेल्डिंग उखड़ गई, जिससे सीढ़ियां एक तरफ झुक गईं। गनीमत रही कि किसी भी व्यक्ति को कोई गंभीर चोट नहीं आई और एक बड़ा हादसा टल गया।

मुख्यमंत्री ने करीला धाम के लिए की बड़ी घोषणाएं

इस घटना के बाद मुख्यमंत्री मंच पर पहुंचे, जहां जनप्रतिनिधियों और स्थानीय नागरिकों ने करीला धाम को 'करीला लोक' बनाने, बड़ी होटलों के निर्माण और अन्य सुविधाओं के विस्तार की मांग रखी। साथ ही करीला मंदिर क्षेत्र में शराब की बिक्री पर रोक लगाने की भी मांग उठी।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने संबोधन में यहां बेहतर व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया। उन्होंने बताया कि इससे पहले उन्होंने करीला मेले के लिए 10 लाख रुपये देने की घोषणा की थी, जो जारी कर दिए गए हैं। इसके अलावा, करीला मेले को और भव्य बनाने के लिए 1 करोड़ रुपये देने की घोषणा भी की।

यहां बिना राम के पूजी जाती हैं सीता माता, चढ़ावे में कराया जाता है राई नृत्य

करीला धाम न केवल अपनी धार्मिक मान्यता और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसकी एक अनोखी विशेषता भी है। आमतौर पर मंदिरों में भगवान राम के साथ माता सीता की मूर्ति स्थापित होती है, लेकिन करीला धाम के मंदिर में भगवान राम की प्रतिमा नहीं है। यहां मुख्य वेदी पर माता सीता, उनके पुत्र लव-कुश और महर्षि वाल्मीकि की प्रतिमाएं स्थापित हैं। यह मंदिर रामायण कालीन घटनाओं से जुड़ा हुआ माना जाता है और कहा जाता है कि यही वह स्थान है, जहां माता सीता ने लव-कुश को जन्म दिया था और महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में रहकर उनका पालन-पोषण हुआ था।
इस मंदिर से जुड़ी एक और अनोखी परंपरा यह है कि यह संभवतः दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु चढ़ावे के रूप में बुंदेलखंड का प्रसिद्ध लोकनृत्य ‘राई’ कराते हैं। सदियों से चली आ रही इस परंपरा को श्रद्धालु बड़े उत्साह और आस्था के साथ निभाते हैं। हर साल रंग पंचमी के अवसर पर यहां भव्य मेला लगता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु माता जानकी के दर्शन करने और अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए आते हैं। इस बार यह मेला इसलिए भी खास बन गया क्योंकि पहली बार नागा साधुओं ने इसमें शिरकत की, जिससे श्रद्धालुओं के बीच एक अलग ही आध्यात्मिक ऊर्जा देखने को मिली। करीला धाम का यह मेला न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि मध्यप्रदेश की लोकसंस्कृति और आध्यात्मिक धरोहर का अनूठा संगम भी है।